जहाँ हर सर झुक जाये वही मंदिर है,
जहाँ हर नदी समा जाये वही समंदर है,
जीवन की इस कर्म भूमी में युद्ध बहुत है,
जो हर जंग जीत जाये वही खत्री जैसा सिकंदर है

Author: aajtak24x7
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जहाँ हर सर झुक जाये वही मंदिर है,
जहाँ हर नदी समा जाये वही समंदर है,
जीवन की इस कर्म भूमी में युद्ध बहुत है,
जो हर जंग जीत जाये वही खत्री जैसा सिकंदर है
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